बहुत से कायस्थ ग्रुपों मे युवाओं की एक बड़ी समस्या “रोजगार” पर बहुत सारे प्रश्न आ रहे हैं। अधिकतर लोग आधारहीन तर्क रखते हैं। आज मैं इस विषय पर कुछ कहना चाह रहा हूँ। मैंने यह पाया है कि रोजगार के लिए हमारे भाई अव्यवहारिक प्रयास या बयानबाजी कर अपनी भड़ास निकालते हैं । इससे कोई समाधान नहीं मिलने वाला।
सामाजिक संगठनों को तो पद-पद खेलने, गाल बजाने, सम्मेलन करने, जयंती एवं पुण्य तिथि मनाने, कभी राजेन्द्र कभी लाल बहादुर शास्त्री की सम्मान दिलाने के नाम पर आँसू बहाने, राजनीति-राजनीति का हौवा खड़ा करने, यहाँ तक की किसी की सहायतार्थ घोषित रकम को हड़पने से ही फुर्सत नहीं।
रोजगार का अर्थ दो मान लें- पहला नौकरी तथा दूसरा स्व रोजगार । वर्तमान समय मे दोनों क्षेत्र मे उपयुक्त योग्यता जरूरी है।
अगर आपकी योग्यता साधारण एवं वर्गीय है, तो नौकरी के प्रतिस्पर्धा मे आप टिक नहीं सकते। मगर हम ऐसा भी नहीं कह रहे कि आप प्रयास करना छोड़ दें। प्रयास करते रहें एवं नौकरी खोजने मे समय गँवाए बिना अपनी आमदनी के लिए कुछ न कुछ वैकल्पिक एवं अस्थाई रोजगार (गलत कार्य नहीं) खोज लें। कहते हैं न कि खाली दिमाग शैतान का घर। इससे बचने का प्रयास ही आपकी बुद्धिमता होगी और आपकी सफलता की राहें आसान होगी। राजनीतिक नेताओं या दलालों के चक्कर लगाने से बचें तथा आपाधापी मे गलत रोजगार न चुन लें या किसी के झांसे मे न आ जाएँ।
अपनी योग्यता बढ़ाने के एवं प्रतिस्पर्धा मे विजयी होने के लिए हर संभव कड़े परिश्रम भी करना न छोड़ें। हमारे जाती के लिए सरकारी नौकरी के अवसर थोड़े रह गए हैं अतः स्थायित्व वाले निजी क्षेत्र मे भी नौकरी तलाशें। वहाँ थोड़े परिश्रम तो हैं पर सैलरी अच्छी मिल जाती है।
सरकारी एवं निजी क्षेत्र मे नौकरियाँ अब सरकार द्वारा बनाई गई योजना एवं आधारभूत संरचना के विकास पर अत्यधिक आधारित हो गई है। विभाग की नौकरियाँ तो अब सेवा निवृति की अवधि बढ़ा देने से भी प्रभावित हो गई है।
दूसरा क्षेत्र स्व रोजगार का क्षेत्र है, जहां कम शिक्षित लोग या व्यावसायिक शिक्षा से वंचित लोग पारंपरिक व्यवसाय को चुनेगें तो कम से कम परेशानी होगी। अभी पकौड़ा एक मज़ाक का विषय बना हुआ है, पर आप माने या न माने यह एक दमदार व्यवसाय है, जहां जोखिम कम और आय ज्यादा है। आय कर, बिक्रीकर, आधार कार्ड, बैंक खाता आदि का कोई झंझट ही नहीं। सरकारी कार्यालयों / निजी कॉर्पोरेट कार्यालयों अथवा कॉलेज के बाहर चंद घंटों मे ठेला लगाकर लोग हजारों कमाकर घर लौट जाते हैं। भले यह हमे हमारी सामाजिक विवशता के आगे छोटा कार्य लगते हों, पर इससे होने वाले आय को आप नकार नहीं सकते। इसके अलावे भी कई रोजगार के अवसर आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। यहाँ आपको व्यावसायिक प्रतियोगिता झेलनी पड़ेगी।
अगर आप अच्छा व्यवसाय करना चाहें तो पूंजी, शिक्षा, अनुभव, परिश्रम करने की क्षमता, संवाद कुशलता, व्यावसायिक कुशाग्रता एवं मृदुभाषी होना आपकी पहली शर्त होगी। वर्तमान मे व्यवसाय का क्षेत्र असीमित हो गया है जिसे आप अपने अनुरूप तलाशकर कर सकते हैं।
अंत मे मैं यही कहूँगा कि मन लगाकर पढ़ने वाले, योग्यता रखनेवाले, अवसर को पहचानने वाले एवं उसके अनुरूप अपने को फिट करने वाले कभी बेरोजगार नहीं हो सकते एवं बेरोजगारी की डफली बजाने वाले कभी सफल नहीं हो सकते।
जय श्री चित्रगुप्त।
महथा ब्रज भूषण सिन्हा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय कायस्थ संगठन
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