व्यर्थ के विवादों मे न पड़कर अपने विश्वास के मनोनुकूल आराधना से ही आपका मतिभ्रम दूर हो सकता है। भगवान श्री चित्रगुप्त हम सबके आराध्य हैं, अतः अपने मतानुसार पूजन-वंदन करें। दूसरे पर अपने दृष्टिकोण न थोपें, सिर्फ भक्ति करें।
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