मीरा बाई चानू
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वर्ष 2016 मे लिए गए संकल्प को आज प्रतिबिम्बित हुए देखना मुझे आह्लादित कर रही है। सामाजिक सेवा के पिछले 12 वर्षों के खट्टे-मिट्ठे अनुभवों ने जहां मुझे अनुभवी बनाया है, वहीं आप सबों के योगदान ने मुझमे एक नई शक्ति का संचार भी किया है, जिसके कारण आज विपरीत परिस्थितियों मे भी मैं आपके बीच अविचल खड़ा हूँ। दरअसल यह ताकत मुझमे नहीं, आप सबों के आशीर्वाद एवं प्यार की देन है। हमने अबतक के सामाजिक जीवन मे समाज को कुछ अच्छा देने की कोशिश लगातार करते रहे हैं।
आज का यह समागम कई बातों मे महत्वपूर्ण है। 2018 का वर्ष झारखंड-बिहार के लिए “कायस्थ वर्ष कहा जा सकता है। इस वर्ष मे इस क्षेत्र से तीन राष्ट्रीय अध्यक्ष समाज को मिले हैं। पर यहाँ तक की सफर मे आते-आते कायस्थ समाज गंभीर स्थिति मे पहुँच गया है। इसलिए आज चिंतन की जरूरत पड़ी है।
इस वर्ष मे बड़े भाई रविनंदन सहाय जी अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के एक धड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं। जबकि श्री सुबोध कान्त सहाय अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के दूसरे धड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। मैं दोनों राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को इस मंच से शुभकामनायें प्रेषित करता हूँ। यह मेरा सौभाग्य है कि आप सबों के प्यार और समर्थन से झारखंड-बिहार मे तीसरे एवं अखिल भारतीय कायस्थ संगठन के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से मैं आपके साथ नए तकनीकी शस्त्रों से लैस, ( समाज के लिए दो website, www.abksn.com एवं www.mangalshadi.com ) अखिल भारतीय कायस्थ संगठन अपनी पहली वार्षिकोत्सव मना रहा है। जिसके कार्यक्रम मे आप सब उपस्थित हैं।
अब सबसे बड़ा प्रश्न उठता है कि क्या कायस्थ समाज की समस्याएँ इन तीन ग्रुपों के लिए अथवा कायस्थ समाज के अन्य छोटे-बड़े सभी कायस्थ संगठनों के लिए अलग-अलग है ?
समस्याएँ क्या हैं?
*कायस्थ युवाओं की बेहतर शिक्षा का अभाव (कारण –आर्थिक)
*नौकरी का अभाव(अयोग्यता एवं आरक्षण के शिकार)
*रोजगार के प्रति झुकाव नहीं।(व्यावसायिक कुशलता एवं आर्थिक अभाव)
*उपजाति बंधन एवं कमजोर आर्थिक स्थिति से वैवाहिक समस्या।
*नेतृत्व एवं परस्पर विश्वास की समस्या।
लोग कहते हैं- हम एक जुट नहीं है। पर मैं ऐसा नहीं मानता। हमारी एकता कहीं नहीं गई है। सिर्फ बड़बोलेपन के तीर से घायल है। मन के विकार से थक चुकी है एकता । इसे रोगमुक्त करने की जिम्मेवारी किसी दूसरे पर नहीं, हमसब पर है।
मदद की कोई परिभाषा नहीं होती। हम एक दूसरे की मदद नहीं करते,ऐसा भी नहीं। दरअसल मदद की पहचान ही खो गई है। मदद देने या करने की एक सीमा है, पर लेने की सीमा नहीं है। मदद की पहचान और लौटाने की प्रतिबद्धता नहीं है हममे। हमे इसे सीखने की जरूरत है।
अखिल भारतीय कायस्थ संगठन आपको मदद करने के लिए बेचैन है। एक लंबी और बड़ी व्यवस्था कर रखी है हमने। पर मेरे साथ पहचान का संकट है कि मदद आखिर किसे और किस तरह से करूँ?
नि:संदेह आप इसमे हमारी सहायता, हमसे जुड़कर कर सकते हैं।
संगठन के टीम मे जुड़े राष्ट्रीय पदाधिकारी समाज के मूर्धन्य लोगों मे से हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप मे महथा ब्रज भूषण सिन्हा, सुविख्यात इंजीनियरिंग ऐड संस्थापक एवं 15 साल से सामाजिक सेवा एवं क्षेत्र के अनुभवी एवं राष्ट्रीय स्तर पर कायस्थ समाज के जाने-पहचाने चिंतक हैं, तो राष्ट्रीय महामंत्री के रूप मे रांची पशु चिकित्सा महाविद्यालय के सेवा निवृत डीन एवं निदेशक छात्र कल्याण, बिरसा कृषि विश्व विद्यालय के डॉ. अशोक कुमार श्रीवास्तव जाने-माने वैज्ञानिक, शिक्षक एवं कायस्थ समाज के समर्पित कार्यकर्ता भी हैं। राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप मे सेवानिवृत आईपीएस श्री प्रशांत करण जी, कई पुरष्कारों से सम्मानित लेखक एवं कवि हैं तथा समर्पित अग्रणी सामाजिक कार्यकर्ता हैं। डॉ सुशील कुमार, सेवा निवृत उप निदेशक MSME, संगठन के शिक्षा एवं रोजगार शाखा देख रहे हैं। संगठन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कोषांग के अध्यक्ष डॉ मणिभूषण प्रसाद, प्रख्यात हड्डी एवं स्नायु तंत्र रोग विशेषज्ञ RIMS से अवकाश ले चुके एसोसिएट प्रोफेसर हैं। तथा संगठन के अन्य पदाधिकारी भी काफी ख्यातिप्राप्त एवं योग्य व्यक्ति हैं।
हमने सामाजिक सेवा मे एक नया प्रतिमान स्थापित किया है, वह है पूर्ण पारदर्शिता हेतु ऑनलाइन सदस्यता (प्रमाण पत्र सहित) एवं सहयोग राशि का संकलन, नवयुवकों के लिए रोजगार का पोर्टल, सरल एवं सुलभ न्यूनतम अंशदान पर वैवाहिक पोर्टल एवं ऑनलाइन राष्ट्रीय कायस्थ डायरेक्टरी का निर्माण।
संगठन ने आज के तकनीकी युग मे घर बैठे एक दूसरे के संपर्क मे रहने, नौकरी खोजने एवं सुयोग्य वर-वधू की तलाश के लिए यह जरूरी सुविधा समाज के लिए समर्पित किया है। यह पिछले एक वर्ष की संगठन की उपलब्धि है।
अखिल भारतीय कायस्थ संगठन का उद्देश्य सम्पूर्ण समाज को एकता के सूत्र में बांधना है. हम सामाजिक सेवा एवं सामाजिक एकता की प्रबल इच्छा से समाज का कार्य करने के लिए एकत्र हुए हैं। यह संगठन अन्य संस्थाओं की तरह दिखावटी संस्था बन कर न रह जाय, इसके लिए हम अनवरत आपके संपर्क मे रहने, अपने गतिविधि से आपको समय-समय पर अवगत कराते रहने के लिए मोबाइल एवं मेल आइ डी पर संदेश देने की भी फुलप्रूफ व्यवस्था कर रखी है।
हम पूर्ण संगठित, सशक्त, दोषरहित एवं समरसता के बल पर कायस्थ समाज को परम वैभव पर पहुंचाना एकमात्र लक्ष्य रखते हैं। सभी हिन्दी-अहिंदी प्रदेशों के उपजातिगत भेदभाव रहित, समतामूलक समाज का निर्माण करने के लिए संगठन काम कर रही है।
संगठन समाज को राजनीति मे सम्मानजनक मुकाम तक पहुंचाने के लिए युवाओं को सक्षम बनाने का कार्य कर रही है। हम सभी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं का व्यवहार सभी कायस्थों के लिए समान भाव रखने का प्रयास करते हैं । संगठन निःस्वार्थ भाव से सामाजिक सेवा मे संलग्न है एवं सभी स्तरों पर पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखने का हर संभव प्रयास करती है।
आर्थिक सहयोग से सामाजिक एकता
संगठन का मानना है कि समस्त कायस्थ जति मे सक्रियता, सजगता बनाय रखने के लिए मासिक सहयोग के रूप मे न्यूनतम 30 रुपये की राशी (प्रतिदिन एक रुपये का सहयोग) ली जाय जिससे हम अनवरत सभी एक दूसरे से जुड़े रहें, निर्धन एवं आपदा ग्रस्त परिवारों को उपलब्ध राशि से सहयोग और आपसी संवाद कभी शिथिल न हो। इससे एक तरफ भाईचारा विकसित होगी वहीं दूसरी ओर एक दूसरे से परिचय का क्षेत्र बढ़ेगा जिससे संबंध प्रगाढ़ होने के साथ-साथ मदद के हांथ लंबे होंगे।
बारह कायस्थों के बीच वैवाहिक सम्बन्ध से एकता:
संगठन का दृष्टिकोण है कि कायस्थ एकता मे कायस्थों के बीच उपजाति, क्षेत्रियता, भाषाई भिन्नताओं को दरकिनार कर वैवाहिक रिश्ते स्थापित होने से देश भर के कायस्थ एकजुट होंगे, जो जातिगत मजबूती के लिए परम आवश्यक है। अतः संगठन इस क्षेत्र मे सक्रिय रूप से कार्य करेगा।
भगवान श्री चित्रगुप्त पूजन एवं मंदिरों का स्थापन, प्रबंधन एवं जीर्णोद्धार
संगठन इस क्षेत्र मे बेहद संवेदनशीलता के साथ कार्य करने के लिए तत्पर है। इस निमित एक राष्ट्रीय प्रकोष्ठ बनाकर इस कार्य को हांथ मे लेगी। संगठन समय-समय पर अपनी नीतियों को आवश्यकतानुसार समीक्षा करेगी तथा नए उपबंधों , नियमों एवं संगठन के विस्तार हेतु बदलाव करती रहेगी।
शिक्षा एवं रोजगार
कायस्थ समाज का सामाजिक ढांचा लोकसेवा, शासन–प्रशासन एवं निजी क्षेत्र मे नौकरी पर आधारित रहा है। आजादी के बाद सरकार के आरक्षण नीति के कारण अब सवर्ण कहे जाने वाले जातियों का सरकारी नौकरियों मे अनुपात दिन प्रतिदिन घटता गया है, जिससे हमारा समाज का मुख्य जीवनोपार्जन के स्रोत प्रायः सुख सा गया है। वर्तमान मे अब सिर्फ संभावनाएं अति मेधावी छात्र के लिए तथा निजी क्षेत्र मे ही रोजगार के अवसर कुछ दिखाई पड़ रहे हैं। ऐसी परिस्थिति मे संगठन का यह मानना है कि समाज के बच्चों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था एवं स्व् रोजगार हेतु प्रशिक्षित किया जाये, ताकि उत्तम शिक्षा के बदौलत अच्छे नौकरियों के लिए प्रतियोगिता मे सफल हों, एवं नौकरी पर निर्भरता तथा बेरोजगारी की समस्या दोनों समाप्त करने मे मदद हो सके।
संगठन के वर्तमान साधन
वर्तमान युग मे सोशल मीडिया एवं इन्फॉर्मेशन टेक्नालॉजी के प्रभाव को देखते हुये संगठन की शुरुआत सशक्त और व्यापक वैबसाइट को आधार बनाया गया है। जिसके माध्यम से संगठन अपनी बात, कार्यक्रम, सूचनाएँ, सदस्यता, रोजगार हेतु जॉब पोर्टल एवं शादी हेतु सामाजिक मैरेज पोर्टल के माध्यम से कार्य को तीव्र गति से तथा पूरी पारदर्शिता के साथ करने की शुरुआत की है। संगठन मे सदस्यता एवं सहयोग राशि वैबसाइट के पेमेंट गेटवे के जरिये ऑनलाइन पेमेंट संगठन के अकाउंट मे ही लेने का प्रावधान है। अभी निम्न लिखित वैबसाइट संगठन को गति एवं सामाजिक सेवा के निमित कार्यरत है।
www.bhartiyakayastha.org , www.abksn.com www.jobapply.bhartiyakayastha.org, www.mangalshadi.com
सामाजिक विकास से संगठन का चतुर्दिक सशक्तिकरण
समाज को राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने हेतु, संगठन युवाओं को राजनीति के क्षेत्र मे प्रोत्साहित करेगी। तथा उनके संवर्धन हेतु सहयोग करने के लिए तत्पर रहेगी। संगठन किसी दल विशेष के प्रभाव मे न कार्य करेगी और न ही किसी दल को समर्थन देने की राजनीतिक घोषणा करेगी। पर अपने समाज के उम्मीदवार चाहे जिस भी दल से संबन्धित होंगे उन्हे भरपूर समर्थन देगी। एक क्षेत्र मे एक से अधिक कायस्थ उम्मीदवार होने की स्थिति मे चुनाव के स्थिति के अनुसार जीतने वाले उम्मीदवार को समर्थन देगी तथा प्रयास करेगी कि कायस्थ उम्मीदवार को कायस्थ उम्मीदवार से टकराव न हो। हर हाल मे अखिल भारतीय कायस्थ संगठन किसी भी दल का छाया संगठन की तरह कार्य नहीं करेगी। संगठन सभी राजनीतिक दलों से चुनाव लड़ने वाले अपने भाइयों से एक प्रतिज्ञा पत्र लेगी कि चुनाव जीतने या न जीतने की स्थिति मे भी वे संगठन के माध्यम से अपने समाज की सेवा मे पीछे नहीं रहेंगे।
“संगठन के सदस्य संगठन का प्रमुख आधार” की अवधारणा पर संगठन कार्य करेगी। सहयोगकर्ता के आर्थिक योगदान के आधार पर संगठन उन्हे मानद सदस्य बनाएगी, जिन्हे अलग-अलग स्तर के कार्य समितियों मे भाग लेने का अधिकार प्राप्त होगा। संगठन समय-समय पर अपनी नीतियों को आवश्यकतानुसार समीक्षा करेगी तथा नए उपबंधों , नियमों एवं संगठन के विस्तार हेतु बदलाव करती रहेगी।
"संगठन का पंच लाइन : सामाजिक सहभागिता एवं विकास मे कोई पीछे न छुट जाये"
-महथा ब्रज भूषण सिन्हा
राष्ट्रीय अध्यक्ष